रायपुर, छत्तीसगढ़ में इन दिनों चुनावी परिणाम और मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। एक पान ठेले से लेकर फाइव स्टार होटलों तक लोग...
रायपुर, छत्तीसगढ़ में इन दिनों चुनावी परिणाम और मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। एक पान ठेले से लेकर फाइव स्टार होटलों तक लोग संभावनाओं और अनुमानों के बीच 11 तारीख का इंतजार कर रहे हैं। राज्य में दो चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। 12 नवंबर को 18 सीटों पर और 20 नवंबर को 72 सीटों पर भावी विधायकों का भविष्य ईवीएम मशीनों में कैद हो गया है। सबको इंतजार 11 दिसंबर का है जब मतगणना के बाद सरकार का फैसला होगा।
सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस को लेकर है। अधिकांश लोगों का यह मानना है कि कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। इसमें सटोरियों की भविष्यवाणी भी शामिल है। सर्किट हाउस के काफी हाउस से लेकर स्कूल और विश्वविद्यालयों में लोग यह मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार बन सकती है। वहीं भाजपा के प्रबंधन तंत्र और ईवीएम को लेकर भी लोग आशंकाएं जतला रहे हैं।
बहरहाल कांग्रेस की सरकार बनाने के साथ-साथ उसके भावी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भी लोगों में अनुमान और शर्तों का दौर जारी है। कांग्रेस के दिग्गजों के बयान हालांकि यहीं आ रहे हैं कि सरकार बनने की स्थिति में सभी विधायकों की राय के बाद पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री तय करेंगे। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री पद के लिए चार-पांच दावेदार है।
विधायकों की राय पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद ही मुख्यमंत्री का नाम तय होगा। कांग्रेस में बतौर मुख्यमंत्री जिन नामों की चर्चा है उसमें भूपेश बघेल, टी एस सिंह देव, ताम्रध्वज साहू और चरण दास महंत के नाम शामिल है। भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपने आपको जहां मजबूत बनाया है वहां कई विवाद भी उनसे जुड़ गए हैं। पार्टी के अंदर ही उनके कई विरोधी है तथा उनके स्वभाव की आक्रमकता कहीं-कहीं उनके नंबर गिरा देती है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव अपने सहज, सरल एवं सौम्य व्यवहार की वजह से लोकप्रियता के मामले में पार्टी में तेजी से उभरे हैं। कार्यकर्ताओं ने उनके नेतृत्व को स्वीकार करना भी शुरू कर दिया है। सरगुजा एवं कोरिया में उनकी अच्छी पकड़ बनी है तथा दिल्ली में हाईकमान के पास भी उनका काफी अच्छा स्रोत है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत प्रदेश में विवादों से परे रहे हैं तथा उन्हें सोनिया गांधी का खास सिपहसालार समझा जाता है। लो प्रोफाइल में रहने के आदी चरण दास महंत की इमेज पार्टी हाईकमान में भी अच्छी है। मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री और यूपीए में राज्य मंत्री रह चुके हैं। इनके अलावा सीएम की दौड़ में ताम्रध्वज साहू का नाम भी तेजी से उभरा है। विवाद रहित एवं सरल स्वभाव के ताम्रध्वज साहू कांग्रेस के ओबीसी विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। उन्हें चुनाव के अंतिम समय में राहुल गांधी से विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्देश मिला है। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के छत्तीसगढ़ से इकलौते सांसद रहे हैं।
प्रदेश में साहू मतदाताओं की काफी बड़ी संख्या होने के कारण वे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े काम आ सकते हैं। इनके अलावा एक अघोषित नाम वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा का भी है। छत्तीसगढ़ से दिल्ली दरबार में कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता मोतीलाल वोरा हालांकि उम्र दराज हैं लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए संघर्ष की स्थिति में वे पार्टी हाईकमान की पसंद साबित हो सकते हैं।
वहीं, नहीं बननी चाहिए भाजपा की सरकार जैसे बयान देकर रेणु जोगी ने प्रदेश के राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है। उनके इस बयान के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मंतव्य को समझने की कोशिश हो रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव यह स्पष्ट तौर पर जतला चुके हैं कि वह किसी भी कीमत पर जोगी की पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाना नहीं चाहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री एवं जोगी कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी इसे अच्छी तरह से समझ रहे हैं। उनका अनुमान है कि यदि सरकार बनाने में उनके गठबंधन की बड़ी भूमिका रही तो वे किंग मेकर हो सकते हैं।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री जोगी जी ने बयान दिया है कि उनके दो विधायक प्रत्याशियों को तोड़ने की कोशिश हो रही है और उनका इशारा भाजपा की तरफ है। उनका यह बयान अकारण ही नहीं है। भाजपा का मानना है कि जोगी पार्टी कांग्रेस में अपनी संभावनाएं तलाश रही है। ऐसी स्थिति में चुनाव के बाद यदि गठबंधन सरकार की स्थिति बनती है तो जोगी बेहद महत्वपूर्ण हो जाएंगे। ऐसे में देखना यह है कि भूपेश एवं सिंह देव की क्या भूमिका रहेगी और पार्टी हाईकमान क्या निर्णय लेगा।